श्री संकट मोचन वीर बाबा मंदिर
मंदिर का समय
सोमवार और बुधवार से शनिवार
खुलने का समय – सुबह 6 बजे से 12 बजे तक
विश्राम – दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक
खुलने का समय – शाम 4 बजे से रात 10 बजे तक
विश्राम – रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक
मंगलवार
खुलने का समय – सुबह 6 बजे से रात 10 बजे तक
आरती – सुबह 8 बजे , शाम – 8 बजे
भोग – दोपहर – 12 बजे, शाम – 8:30 बजे
अखंड दीप – 24 घंटे
मंदिर के बारे में
पीलीभीत- बस्ती राजमार्ग पर मण्डी समिति के पास श्री संकट मोचन वीर बाबा मंदिर स्थापित है। यह मार्ग एल0आर0पी0 के नाम से जाना जाता था, जो कि अब राजमार्ग होकर दो लेन में मुख्य मार्ग के रूप में हो गया है।
मंदिर लाहौरी नगर सरैया ग्राम में स्थित है। इस प्रकार यह मंदिर शहर एवं गाँव के संगम पर स्थापित है, जिससे गाँव एवं शहर दोनों क्षेत्रों के भक्त अपनी श्रद्धा सुमन प्रस्तुत करने हेतु भारी संख्या में आते है। इतना ही नही जनपद के बाहर से प्रदेश व अन्य प्रान्तों के दर्शनार्थी भी आशीर्वाद प्राप्त करने के लिये विभिन्न विशिष्ट आयोजनों में पर्यटक के रूप में आते है। यहाँ की संस्कृति और नैसर्गिक प्राकृतिक सौन्दर्य लुभायमान है।
हमारे कार्यक्रम
4 जून को मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा का वार्षिकोत्सव भी होता है और इस दिन मंदिर की ओर से भव्य भंडारे का आयोजन किया जाता है शाम को उत्कृष्ट कोटि का सांस्कृतिक कार्यक्रम जिसमें रामलीला रासलीला और अन्य विविध कार्यक्रमों का आयोजन होता है
इस वर्ष भी जेठ का मंगल 28 मई से प्रारंभ हो रहा है आप अवगत है कि प्रत्येक वर्ष श्री संकट मोचन वीर बाबा मंदिर लाहौरी नगर सरैया लखीमपुर में प्रत्येक वर्ष ज्येष्ठ में एक महीने का कार्यक्रम होता है । इस वर्ष 28 मई ,4 जून ,11 जून तथा 18 जून को जेठ का मंगल पड़ रहा है ।
सावन में छोटी काशी गोलागोकर्णनाथ में शिव मूर्ति पर जल चढ़ाने के जाने वाले कांवडियों के रहने, स्न्नान एवं नाश्ता- खाना की निशुल्क व्यवस्था पुरे सावन भर चलती है।
स्थानीय
श्री संकट मोचन वीर बाबा के नाम से मंदिर के नामकरण की पृष्ठभूमि ऐतिहासिक है। मंदिर के पिछले हिस्से में पाकड़ / पीपल का जुड़ा हुआ वृक्ष है। ब्रिटिश काल (अंग्रेजो के जमाने) के पहले बंदोबस्त (Record Operation) में थोड़ा सा हिस्सा – ”वीर बाबा” स्थान के नाम से दर्ज है। इस स्थान पर सौ साल से वीर बाबा की पूजा सतत रूप से की जाती रही है।
उक्त स्थल पर पूर्व में ”बलि” चढ़ाई जाती थी और तदोपरान्त वीरबाबा के स्थान पर पूजा होती थी। नामरण के समय स्थान देवता वीरबाबा का नाम भी श्री संकट मोचन के साथ संरक्षित रखा गया। श्री हनुमान जी के साथ ही विधिवत वीरबाबा की भी पूजा आरती नियमित की जाती है।
धार्मिक चिन्तन को यदि वैज्ञानिक विचारधारा से जोड़ा जाये तो यह सर्वमान्य है, कि जैसे मानव शरीर मे मस्तिष्क अपने गुणों के कारण पूरे शरीर में एक विशिष्ट स्थान रखता है उसी प्रकार पृथ्वी पर अवस्थित कुछ विशेष स्थान अपनी विशिष्टाओं के कारण पवित्र माने जाते हैं। इसी मान्यता के आधार पर वीर बाबा के नाम अंलकृत स्थल को जनमानस की श्रद्धा ने ‘तीर्थ’ व ‘पावन धाम’ के रूप में समादृत किया है। फलस्वरूप् वीर बाबा के नाम से पूर्व परचित स्थल को श्रद्धालुओं की महान आस्था को देखते हुये कालान्तर में श्री संकटमोचन वीरबाबा मंदिर की स्थापना 04 जून 2003 को लखीमपुर के भक्तों के जयघोष के मध्य हुई। पूरे शहर में इतना बड़ा जुलूस निकला, जो कि पूर्व में कभी ऐसी नही उल्लास देखने को मिला और एक मिसाल बनी। जलूस में स्थानीय स्तर के अलावा दूर-दूर गाँवों से भी भक्त लोग आये। पूरा-पूरा शहर राममय था। लगभग 11 घंटे की यात्रा के बाद प्राण प्रतिष्ठा का कार्य सम्पन्न हुआ।
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